मेरा विश्वास गलत था
हम सबके लिए विश्वास बहुत महत्वपूर्ण होता है। हम सभी किसी न किसी में विश्वास रखते हैं जो हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता है। कुछ के लिए 'भगवान में विश्वास' महत्वपूर्ण होता है तो कुछ के लिए 'खुद में विश्वास'। लेकिन तब क्या होता है जब आप का विश्वास गलत हो ? जब मेरे बच्चे बड़े हुए और दिन का लम्बा समय वे कॉलेज में बिताते थे, तब मै बहुत ही ज्यादा अकेलापन महसूस करने लगी। धीरे-धीरे मैं अपने रोज के कार्यों को करने की शक्ति खोने लगी और जो कार्य मैं पहले करती थी उनका आनंद नही ले पा रही थी। मेरी इस हालत को देख कर मेरी बेटी अक्सर मुझे सुझाव देती कि मुझे किसी मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए । उसने मुझे परामर्श के लिए कहा, पर वह मुझ पर दबाव नही डालना चाहती थी,और मैंने 'हाँ नही कहा। जब से हमारी शादी हुई, मेरे पति हमेशा कार्य के सिलसिले में बाहर आया-जाया करते थे । हालाँकि हाल ही में मैंने यह शक करना शुरू किया कि उनके जीवन में कोई दूसरी औरत हो सकती है। अवसादग्रस्त होने के कारण मुझे मेरे विचार सही लग रहे थे। मैं एक सुखी जीवन साथी नहीं रह गई थी।
मैं इस हद तक आश्वस्त थी कि मैंने नियमित रूप से खाना बंद कर दिया और एक दिन बेहोश हो गई । तब मेरे बच्चे मुझे नागपुर ले गए जहाँ हमारा पारिवारिक घर है और जहाँ पर मेरी बहुत सी सुखद यादें हैं। मेरे पति भी आ गए। हम एक अच्छे क्लिनिक में गए। वहाँ उन्होंने बताया कि मुझे 'डेलूशनल डिसऑर्डर'delusional disorder है। उन्होंने बताया कि अवसाद depression के दिनों में साथी की अनुपस्थिति में यह होना एक सामान्य सी बात है। मेरे पति को इस बात का बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने अपने ऑफिस से उन्हें नागपुर में स्थाई पद देने का अनुरोध किया।
वर्तमान में मैं उनके साथ अपने पुराने पारिवारिक मकान में रह रही हूँ और दवा और चिकित्सा के साथ खुद के झूठे विश्वास कि 'वे मुझसे विश्वासघात कर रहे हैं' से लड़ने में सक्षम हूँ।
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